FREE IGNOU DNHE-02 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता Solved Assignmnet Jan–Dec 2025

FREE IGNOU DNHE-02 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता SOLVED ASSIGNMENT Jan–Dec 2025

    FREE IGNOU DNHE-02 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता Solved Assignmnet Jan–Dec 2025
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     भाग वर्णनात्मक प्रश्न

    Q1. a. जन्म-मृत्यु आंकडो को परिभाषित करें। जन्म-मृत्यु आंकडों संबंधी डाटा के स्रोत क्या हैं? विस्तार से लिखें।

    (a) जन्म-मृत्यु आंकड़े: परिभाषा एवं स्रोत

    ANS. जन्म-मृत्यु आंकड़े (Vital Statistics) किसी भी देश, राज्य या क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य, वृद्धि और सामाजिक विकास की स्थिति का मापन करने का एक महत्वपूर्ण साधन हैं। ये आंकड़े यह बताते हैं कि किसी समयावधि में कितने जन्म (Births) और कितनी मृत्यु (Deaths) हुईं।

    • जन्म दर (Birth Rate)
    • मृत्यु दर (Death Rate)
    • शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate)
    • मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate)
    • जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)

    इन आंकड़ों का उपयोग जनसंख्या की स्वास्थ्य स्थिति, जीवन स्तर, सामाजिक एवं आर्थिक विकास की योजना बनाने और नीतियों को सुधारने में किया जाता है।

    जन्म-मृत्यु आंकड़ों के स्रोत

    जन्म-मृत्यु से संबंधित डाटा प्राप्त करने के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:

    1️    नागरिक पंजीकरण प्रणाली (Civil Registration System – CRS):

    भारत में प्रत्येक जन्म और मृत्यु का कानूनी पंजीकरण अनिवार्य है। यह सबसे सटीक और वास्तविक समय में उपलब्ध आंकड़े उपलब्ध कराता है। पंजीकरण केंद्रों द्वारा ये आंकड़े राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर संकलित होते हैं।

    2️    जनगणना (Census):

    हर 10 वर्ष में एक बार पूरी देश की जनगणना की जाती है। इसमें जन्म और मृत्यु से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े भी एकत्र किए जाते हैं। यद्यपि यह आंकड़े औसत होते हैं, लेकिन व्यापक परिदृश्य दिखाते हैं।

    3️    सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS):

    यह एक सतत सर्वेक्षण पद्धति है जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चुनिंदा घरों में जन्म एवं मृत्यु की निगरानी की जाती है। यह शिशु मृत्यु दर, जन्म दर और मृत्यु दर जैसे संकेतकों के लिए विश्वसनीय आंकड़े देता है।

    4️   राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS):

    यह सर्वेक्षण स्वास्थ्य एवं जनसंख्या से संबंधित विस्तृत जानकारी एकत्र करता है, जिसमें जन्म, मृत्यु, प्रजनन दर, शिशु मृत्यु दर आदि शामिल हैं।

    5️   अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों के रिकॉर्ड:

    सरकारी निजी अस्पतालों में दर्ज जन्म मृत्यु के रिकॉर्ड भी एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में।

    6️    विशेष सर्वेक्षण:

    कभी-कभी सरकार या अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं विशिष्ट विषयों पर जैसे मातृ मृत्यु दर या टीकाकरण कवरेज के लिए विशेष सर्वेक्षण कराती हैं।

    इन स्रोतों से प्राप्त आंकड़े नीति निर्माण, स्वास्थ्य कार्यक्रमों की योजना, तथा जनसंख्या संबंधी रुझानों को समझने में अत्यंत सहायक होते हैं।

     

    b. सी.डी.आर और आई.एम.आर. को परिभाषित करें

    CDR (Crude Death Rate – सकल मृत्यु दर)

    सकल मृत्यु दर एक वर्ष में प्रति 1,000 जनसंख्या पर होने वाली कुल मृत्यु की संख्या को दर्शाती है।




    IMR (Infant Mortality Rate – शिशु मृत्यु दर)

    शिशु मृत्यु दर, जन्म के बाद पहले वर्ष में प्रति 1,000 जीवित जन्म पर मरने वाले शिशुओं की संख्या को कहा जाता है। यह किसी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मातृ एवं बाल स्वास्थ्य की स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक है।


    निष्कर्ष:
    जन्म-मृत्यु आंकड़े समाज के स्वास्थ्य और विकास की दशा का आइना होते हैं। CDR और IMR जैसे संकेतक नीति निर्धारण, स्वास्थ्य योजनाओं और विकास कार्यक्रमों के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उचित पंजीकरण और सटीक आंकड़े एक स्वस्थ समाज की दिशा में पहला कदम हैं।

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    Q2. a. परिवार नियोजन के अंतराल के तरीकों से आप क्या समझते हैं? परिवार नियोजन की किन्हीं दो अंतराल विधियों को स्पष्ट कीजिए।

    परिवार नियोजन के अंतराल के तरीके (Spacing Methods) वे उपाय होते हैं जो दंपत्ति को दो गर्भधारणों के बीच पर्याप्त अंतराल बनाए रखने में मदद करते हैं।
    इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि माता का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे, शिशु को पर्याप्त स्तनपान और देखभाल मिले तथा परिवार का समग्र स्वास्थ्य और विकास अच्छा बना रहे।

    अंतराल के तरीके अस्थायी होते हैं, अर्थात जब तक दंपत्ति अगला बच्चा नहीं चाहते, तब तक इनका उपयोग किया जाता है, और जब अगला बच्चा चाहें, तो इनका उपयोग बंद किया जा सकता है।

    परिवार नियोजन की दो प्रमुख अंतराल विधियों का विवरण:

    1️    माहवारी चक्र आधारित विधियाँ (जैसेप्राकृतिक विधि, सुरक्षित अवधि विधि):

    • यह विधि स्त्री के मासिक धर्म चक्र के उन दिनों की पहचान पर आधारित है, जब गर्भ ठहरने की संभावना सबसे अधिक होती है।
    • सामान्यतः, मासिक धर्म चक्र के 10वें से 17वें दिन को उर्वर अवधि माना जाता है। इस दौरान यौन संबंध से परहेज़ किया जाता है या वैकल्पिक साधनों का उपयोग किया जाता है।
    • लाभ: कोई दुष्प्रभाव नहीं, सस्ती, सरल।
    • सीमा: सटीक ज्ञान और अनुशासन की आवश्यकता होती है, असफलता की दर अपेक्षाकृत अधिक होती है।

    2️   अवरोधक विधियाँ (Barrier Methods):

    • इस श्रेणी में मुख्यतः निरोध (कंडोम) और महिला हेतु डाइयाफ्राम या स्पर्मिसाइड्स शामिल हैं।
    • कंडोम पुरुष द्वारा संभोग के समय उपयोग किया जाता है, जो शुक्राणुओं को गर्भाशय तक पहुँचने से रोकता है।
    • लाभ:
      • गर्भधारण से सुरक्षा के साथ-साथ यौन संचारित रोगों (STDs) और HIV/AIDS से भी सुरक्षा।
      • सस्ता, सुलभ, उपयोग में सरल।
    • सीमा:
      • प्रत्येक सहवास में प्रयोग करना पड़ता है।
      • कभी-कभी उपयोग में त्रुटि से असफलता हो सकती है।

    इन अंतराल विधियों का उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा, बच्चों के बीच उचित अंतराल और परिवार के समग्र स्वास्थ्य में सुधार है।

    b. मानव संचिति शब्द की व्याख्या कीजिए।

    मानव संचिति (Population Accumulation) शब्द से आशय जनसंख्या में समय के साथ होने वाली निरंतर वृद्धि से है।
    यह उस प्रक्रिया को दर्शाता है जिसमें जन्म दर मृत्यु दर से अधिक रहने के कारण जनसंख्या में धीरे-धीरे या तेज़ी से इज़ाफ़ा होता है।

    मुख्य बिंदु:

    ·         यह वृद्धि प्राकृतिक होती है और मुख्य रूप से जन्म और मृत्यु के अंतर पर निर्भर करती है।

    ·         यदि किसी क्षेत्र में जन्म दर अधिक है और मृत्यु दर कम, तो वहाँ मानव संचिति की गति तेज़ होती है।

    ·         मानव संचिति का प्रभाव समाज के संसाधनों, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, आवास आदि पर सीधा पड़ता है।

    उदाहरण के लिए, भारत में पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और मृत्यु दर में कमी के कारण जनसंख्या में तेज़ वृद्धि देखी गई, जिससे जनसंख्या संचिति बढ़ी।

    निष्कर्ष:
    मानव संचिति वह सामाजिक-जनसंख्या प्रक्रिया है जो समाज की संरचना और विकास की दिशा तय करती है। इसे संतुलित करने के लिए परिवार नियोजन नीतियाँ और जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम बनाए जाते हैं।

    Q3. a. उदाहरण देते हुए निष्क्रिय कृत्रिम प्रतिरक्षा को परिभाषित करें।

    प्रतिरक्षा (Immunity) का अर्थ हैहमारे शरीर की वह प्राकृतिक क्षमता जो रोगजनक जीवाणु, विषाणु, परजीवी या अन्य हानिकारक कारकों से सुरक्षा प्रदान करती है।
    प्रतिरक्षा दो प्रकार की होती हैसक्रिय प्रतिरक्षा और निष्क्रिय प्रतिरक्षा निष्क्रिय प्रतिरक्षा भी दो प्रकार की होती है: प्राकृतिक और कृत्रिम।

    निष्क्रिय कृत्रिम प्रतिरक्षा की परिभाषा:

    निष्क्रिय कृत्रिम प्रतिरक्षा वह प्रतिरक्षा होती है जिसमें रोग के विरुद्ध तैयार तैयार एंटीबॉडीज़ (प्रतिपिंड) को शरीर में बाहरी स्रोत से सीधे इंजेक्शन या अन्य माध्यम से पहुँचाया जाता है।
    इसमें शरीर स्वयं एंटीबॉडीज नहीं बनाता, बल्कि बाहरी स्रोत से तुरंत प्राप्त करता है, जिससे त्वरित सुरक्षा प्राप्त होती है।

    📌 विशेषताएँ:

    • प्रतिरक्षा तुरंत प्रभावी होती है।
    • इसकी अवधि सीमित होती है, आमतौर पर कुछ सप्ताह या महीने तक ही।
    • यह उन स्थितियों में प्रयोग की जाती है जहाँ संक्रमण का तुरंत खतरा हो या व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो।

    🌿 उदाहरण:

    1️     टेटनस रोग के मामले में:

    यदि किसी व्यक्ति को गहरा घाव हो गया हो और उसने पहले टेटनस का टीका लिया हो, तो उसे टेटनस इम्यून ग्लोबुलिन (TIG) इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है। यह तैयार प्रतिपिंड रोगी के शरीर में पहुँचते ही कार्य करते हैं और उसे टेटनस विषाणु के विरुद्ध तुरंत सुरक्षा प्रदान करते हैं।

    2️     रेबीज (कुत्ते के काटने पर):

    कुत्ते या किसी संदिग्ध जानवर के काटने पर व्यक्ति को रेबीज इम्यून ग्लोबुलिन (RIG) दिया जाता है, जिससे रेबीज वायरस से तुरंत सुरक्षा हो जाती है, जब तक कि शरीर स्वयं वैक्सीन के ज़रिए एंटीबॉडीज बनाना शुरू करे।

    3️     डिप्थीरिया रोग में:

    संक्रमण की स्थिति में तुरंत राहत देने के लिए रोगी को एंटी-डिप्थीरिया सीरम दिया जाता है, जो विष के विरुद्ध तैयार एंटीबॉडीज होते हैं।

    📍 निष्कर्ष:

    निष्क्रिय कृत्रिम प्रतिरक्षा तात्कालिक रूप से गंभीर रोगों से सुरक्षा प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है, विशेषकर जब व्यक्ति को तुरंत खतरा हो और शरीर के पास स्वयं एंटीबॉडीज बनाने का समय हो।

    b. संक्रमण के संचरण की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विधियों में अंतर बताइये।

    संक्रमण का संचरण (Transmission) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से रोगजनक जीवाणु, विषाणु, फफूंदी या परजीवी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचते हैं। संचरण दो प्रमुख प्रकार से होता है:

    प्रत्यक्ष संचरण (Direct Transmission):

    प्रत्यक्ष संचरण में रोगजनक कारक संक्रमित व्यक्ति से सीधे स्वस्थ व्यक्ति में पहुँचते हैं, बिना किसी मध्यवर्ती वस्तु, जल, भोजन या अन्य वाहक की सहायता के।

    🌿 मुख्य प्रत्यक्ष विधियाँ:

    1️     स्पर्श (Contact):

    संक्रमित व्यक्ति के सीधे स्पर्श से रोग फैलता है।
    उदाहरणत्वचा के रोग जैसे खुजली (scabies), दाद (ringworm) आदि।

    2️     द्रव (Droplet Infection):

    संक्रमित व्यक्ति के खाँसने, छींकने या बोलने से निकलने वाली लार की बूँदों के माध्यम से।
    उदाहरणखसरा, डिप्थीरिया, ट्यूबरकुलोसिस, इन्फ्लुएंजा।

    3️    जनन या जन्म के समय:

    माँ से भ्रूण को रोगजनक का संचरण।
    उदाहरणजन्मजात सिफलिस, एचआईवी।

    4️    संक्रमित घाव से संचरण:

    संक्रमित व्यक्ति के घाव के सीधे संपर्क में आने से।
    उदाहरणकुछ त्वचा रोग।

    अप्रत्यक्ष संचरण (In direct Transmission):

    अप्रत्यक्ष संचरण में रोगजनक कारक संक्रमित व्यक्ति से सीधे जाकर किसी माध्यम या वाहक के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँचते हैं।

    🌿 मुख्य अप्रत्यक्ष विधियाँ:

    1️     वाहक जनित (Vector-borne):

    मच्छर, मक्खी, पिस्सू आदि वाहक के रूप में कार्य करते हैं।
    उदाहरणमलेरिया (मच्छर द्वारा), प्लेग (पिस्सू द्वारा)

    2️     जल या भोजन द्वारा:

    संक्रमित जल या भोजन के सेवन से।
    उदाहरणहैजा, टाइफाइड, पीलिया।

    3️     फोमाइट्स द्वारा:

    संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की गई वस्तुएँ जैसे तौलिया, कपड़े, खिलौने आदि।
    उदाहरणडिप्थीरिया, नेत्र संक्रमण।

    4️    मिट्टी द्वारा:

    संक्रमित मिट्टी के माध्यम से।
    उदाहरणटेटनस (क्लॉस्ट्रिडियम टेटनी)

    5️    वायु द्वारा:

    धूल या सूखी बूंदों के माध्यम से।
    उदाहरणट्यूबरकुलोसिस, चिकनपॉक्स।

     

    निष्कर्ष:

    संक्रमण के संचरण के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों मार्ग महत्त्वपूर्ण हैं। रोग नियंत्रण में इनके ज्ञान का उपयोग कर रोकथाम की रणनीतियाँ बनाई जाती हैं, जैसे

    • स्वच्छता, हाथ धोना (प्रत्यक्ष से बचाव)
    • स्वच्छ पानी, वाहक नियंत्रण (अप्रत्यक्ष से बचाव)

    Q4. a. वर्षा जल संचयन से आप क्या समझते हैं? वर्षा जल संचयन की विभिन्न तकनीकों को स्पष्ट कीजिए।

    वर्षा जल संचयन का अर्थ:

    वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से वर्षा के समय गिरने वाले जल को संग्रहित किया जाता है और बाद में इसे पीने, सिंचाई, घरेलू उपयोग अथवा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

    वर्षा जल संचयन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि:

    • इससे भूजल का स्तर बढ़ता है।
    • जल संकट वाले क्षेत्रों में जल उपलब्ध कराया जा सकता है।
    • मिट्टी का कटाव कम होता है।
    • पेयजल की गुणवत्ता में सुधार आता है।

    🌾 वर्षा जल संचयन की प्रमुख तकनीकें:

    वर्षा जल संचयन की तकनीकों को broadly दो भागों में बाँटा जा सकता है:
    1️
       सतही जल संचयन (Surface Water Harvesting)
    2️
         भूजल पुनर्भरण (Groundwater Recharge)

    विस्तार से:

    🌱 1) छत पर जल संचयन (Roof-top Rainwater Harvesting):

    • घर, विद्यालय या इमारत की छत पर वर्षा जल को नालियों के माध्यम से पाइपों से एक टंकी या भूमिगत टैंक में इकट्ठा किया जाता है।
    • इस जल को पीने, कपड़े धोने, बागवानी जैसे घरेलू उपयोग में लाया जा सकता है (फ़िल्टर करने के बाद)
    • यह सबसे सामान्य और प्रभावी तरीका है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में।

    🌿 2) खेत तालाब (Farm Ponds):

    • खेतों के किनारे छोटे-छोटे गहरे गड्ढे या तालाब बनाए जाते हैं, जहाँ वर्षा जल इकट्ठा होता है।
    • यह सिंचाई, पशुओं के पीने के लिए और सूखे समय में उपयोगी होता है।

    🌻 3) परकोलेशन टैंक (Percolation Tank):

    • वर्षा जल को रोकने के लिए बड़े क्षेत्र में मिट्टी से बने बांध बनाए जाते हैं, जिससे जल धीरे-धीरे जमीन में समा जाता है और भूजल का स्तर बढ़ता है।

    🌾 4) जल सोख्ता या रिचार्ज वेल (Recharge Well):

    • वर्षा जल को नालियों द्वारा गहरे कुओं या रिचार्ज पिट में पहुँचाया जाता है, जिससे यह सीधे भूजल स्तर को रिचार्ज करता है

    🌼 5) मिट्टी एवं चेक डैम (Check Dam):

    • छोटे-छोटे बाँध (नाले या छोटे नदी मार्ग पर) बनाए जाते हैं, जिससे जल का बहाव धीमा हो जाता है और वह मिट्टी में सोख लिया जाता है।
    • यह ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से कारगर है।

    6) नाला बंडिंग और कंटूर बंडिंग (Nala Bunding & Contour Bunding):

    • ढलान वाले क्षेत्रों में वर्षा जल को रोकने के लिए खेतों में मेड़ (बंड) बनाए जाते हैं।
    • इससे मिट्टी का कटाव कम होता है और जल भूमि में समा जाता है।

     

    📍 निष्कर्ष:

    वर्षा जल संचयन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का अत्यंत प्रभावी तरीका है, जो सिर्फ़ जल संकट को कम करता है बल्कि पर्यावरण को भी संतुलित रखता है।

    b. उथले कुओं और गहरे कुओं में अंतर स्पष्ट कीजिए

    बिंदु

    उथला कुआँ

    गहरा कुआँ

    गहराई

    कम गहराईसामान्यतः 5–15 मीटर तक

    अधिक गहराई – 30 मीटर या उससे अधिक

    जल स्तर

    भूजल की ऊपरी परत (Unconfined Aquifer) से जल लेता है

    गहरे जलस्तर (Confined Aquifer) से जल खींचता है

    जल की मात्रा

    सीमित मात्रा में जल उपलब्ध

    अधिक मात्रा में जल उपलब्ध

    जल की गुणवत्ता

    अमूमन अधिक प्रदूषित होने की संभावना

    अपेक्षाकृत स्वच्छ और कम प्रदूषित जल

    निर्भरता

    वर्षा पर अधिक निर्भर

    वर्षा पर निर्भरता कम

    खर्च

    निर्माण में कम खर्च

    निर्माण में अधिक खर्च

     

    🌱 विस्तार से:

    उथला कुआँ (Shallow Well):

    • कम गहराई पर खोदा जाता है।
    • ऊपरी भूजल परत से जल प्राप्त करता है।
    • वर्षा की मात्रा और भूजल के स्तर में उतार-चढ़ाव से तुरंत प्रभावित होता है।
    • गर्मी में या सूखे के समय जल्दी सूख सकता है।

    गहरा कुआँ (Deep Well):

    • गहरे भूजल भंडार से जल निकालता है।
    • अधिक समय तक जल उपलब्ध करा सकता है।
    • निर्माण खर्च अधिक, परंतु जल की उपलब्धता अधिक समय तक बनी रहती है।
    • जल की गुणवत्ता भी प्रायः बेहतर रहती है।

    📍 निष्कर्ष:

    दोनों कुओं का महत्व हैउथले कुएँ आसान और सस्ते हैं, पर सीमित जल उपलब्ध कराते हैं; जबकि गहरे कुएँ अधिक महँगे हैं, पर अधिक और अपेक्षाकृत स्वच्छ जल उपलब्ध कराते हैं। वर्षा जल संचयन से दोनों प्रकार के कुओं के जलस्तर को बनाए रखना संभव हो सकता है।

    Q5. a. भारत की मल व्यवस्था तंत्र को बताइये

    भारत में मल व्यवस्था (Sanitation) का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना, जल प्रदूषण को रोकना और स्वच्छता के स्तर को सुधारना है। भारत की मल व्यवस्था तंत्र ऐतिहासिक रूप से विकसित हुई है और आज भी इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के अनुसार विभिन्न प्रकार की प्रणालियाँ प्रचलित हैं।

    मुख्य प्रकार की मल व्यवस्था तंत्र:

    1️    नॉन-फ्लश सिस्टम (Dry Latrines):

    • पुराने समय में अधिकतर ग्रामीण इलाकों में सूखी शौचालय प्रणाली का उपयोग होता था, जिसमें मल को एक गड्ढे में गिराया जाता था।
    • नियमित अंतराल पर मल को बाहर निकाला जाता था।
    • स्वास्थ्य की दृष्टि से यह प्रणाली अनुपयुक्त मानी जाती है।

    2️    पिट लैट्रिन (Pit Latrine):

    • यह सबसे सामान्य ग्रामीण प्रणाली है।
    • ज़मीन में एक गहरा गड्ढा खोदकर उस पर सीट या स्लैब रखी जाती है।
    • मल गड्ढे में एकत्र होता है और धीरे-धीरे प्राकृतिक तरीके से विघटित हो जाता है।
    • सस्ता और निर्माण में सरल, पर यदि ठीक से बनाएँ तो जल प्रदूषण की आशंका।

    3️    वेंटिलेटेड इम्प्रूव्ड पिट (VIP) लैट्रिन:

    • पिट लैट्रिन का उन्नत रूप जिसमें गंध को कम करने और मक्खियों को दूर रखने के लिए वेंटिलेशन पाइप लगाया जाता है।

    4️    फ्लश सिस्टम:

    • शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रचलित।
    • फ्लश करने पर मल सीवरेज पाइप के ज़रिए ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुँचता है।
    • स्वच्छता की दृष्टि से बेहतर, परंतु निर्माण और रखरखाव महँगा।

    5️    टॉयलेट कमपोस्टिंग (Composting Toilets):

    • इसमें मल को गड्ढों या टैंक में जमा कर के उसे खाद (compost) में बदला जाता है।
    • यह पर्यावरण के अनुकूल होता है और खेती के लिए उपयोगी खाद प्राप्त होती है।

    6️  सॉख पिट और सेप्टिक टैंक:

    • ग्रामीण और कुछ अर्ध-शहरी क्षेत्रों में उपयोग।
    • मल का जल से अलग होकर सेप्टिक टैंक में निस्तारण होता है और फिर पानी सॉख पिट के माध्यम से ज़मीन में समा जाता है।

     सरकारी योजनाएँ:

    • भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन, निरंतर ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम जैसे अभियानों के माध्यम से व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालय निर्माण को बढ़ावा दिया है।
    • स्कूलों में अलग-अलग शौचालय, महिलाओं के लिए विशेष शौचालय जैसी पहल भी की गई हैं।

    निष्कर्ष:

    भारत की मल व्यवस्था तंत्र आज मिश्रित हैग्रामीण क्षेत्रों में पिट लैट्रिन सेप्टिक टैंक और शहरी क्षेत्रों में सीवरेज आधारित फ्लश सिस्टम। अब लगातार आधुनिक, स्वास्थ्यकर और पर्यावरण के अनुकूल प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

    b. अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त जूते क्यों महत्वपूर्ण हैं? खराब फिटिंग वाले फुटवियर के इस्तेमाल से होने वाली पैरों की कुछ समस्याएं बताएं।

    अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त जूते या फुटवियर अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि:

    • वे पैरों की सुरक्षा करते हैं।
    • शरीर के भार को संतुलित तरीके से सहारा देते हैं।
    • सही मुद्रा (posture) बनाए रखने में मदद करते हैं।
    • चलने-फिरने में सुविधा और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।
    • पैरों के स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से बचाव करते हैं।

    उपयुक्त फुटवियर के फायदे:

    • पैरों की हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों पर अनावश्यक दबाव कम होता है।
    • पसीने को सोखकर संक्रमण से बचाव करते हैं।
    • चलते समय पैरों को चोट, फिसलने और मोच से बचाते हैं।
    • रीढ़ की हड्डी और घुटनों पर सीधा असर कम करते हैं।

    खराब फिटिंग वाले फुटवियर के नुकसान और पैरों की समस्याएँ:

    1️    कॉर्न्स और कॉलस:

    जूते का दबाव या घर्षण त्वचा पर मोटी परत बना देता है, जिससे दर्द और असुविधा होती है।

    2️    ब्लिस्टर (फफोले):

    ढीले या तंग जूतों से त्वचा पर रगड़ लगती है, जिससे फफोले हो जाते हैं।

    3️   ब्यूनियन्स (Bunions):

    अंगूठे के जोड़ पर हड्डी बाहर की ओर निकल आती है, जिससे दर्द और सूजन होती है।

    4️    हैलक्स वैल्गस:

    अंगूठा दूसरी उंगलियों की ओर झुक जाता है, जिससे असमान दबाव पड़ता है।

    5️    एड़ी में दर्द (Heel Pain):

    खराब कुशन वाले जूतों से एड़ी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे प्लांटर फैसियाइटिस हो सकता है।

    6️   पैर के नाखूनों में वृद्धि की समस्या:

    तंग जूते पहनने से नाखून त्वचा में अंदर की ओर बढ़ने लगते हैं, जिससे सूजन और दर्द होता है।

    निष्कर्ष:

    अच्छे फिटिंग और गुणवत्ता वाले जूते केवल आराम देते हैं, बल्कि पूरे शरीर की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। जबकि खराब फिटिंग के फुटवियर कई दर्दनाक समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जिन्हें सरल सावधानियों से रोका जा सकता है।

    Q6. a. चिकित्सीय आहार को परिभाषित करें। आहार संशोधनों के प्रकार क्या हैं?

    b. टाइफाइड और यकृत रोगों के लिए आहार की प्रमुख विशेषताओं की गणना करें।

    Q7.a. दस्त क्या है? इसके लक्षण और प्रबंधन लिखें।

    b. मनुष्यों में फीता कृमि रोग, इसके लक्षण, कहाँ और कैसे होता है तथा रोकथाम की व्याख्या करें।

    Q8. a. तपेदिक और टिटनेस के कारण, लक्षण और रोकथाम का वर्णन करें।

    b. भारत में स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न स्तरों का अवलोकन प्रस्तुत करें?

    Q9. a. मनुष्यों में त्वचा संक्रमण के कारणों और लक्षणों की गणना करें।

    b. प्रशिक्षित दाइयों के कार्य क्या हैं?

    Q10. a. प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के आवश्यक घटक क्या है?

    b. किसी एक स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताइए।

    खंड - प्रयोगात्मक अभ्यास

    Q1. अपने आस-पास के समुदाय से किन्हीं पाँच लोगों का चयन करें। उन्हें पैम्फलेट / पोस्टर द्वारा घरेलू वर्षा जल संचयन तकनीकों के बारे में शिक्षित करें। उनकी प्रतिक्रिया रिकॉर्ड करें और इसे असाइनमेंट के साथ जमा करें।

    Q2. सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पांच संदेश लिखें। साथ ही उन कारकों को विस्तार से बताइए जो यातायात दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

    Q3. अपने आस-पास के समुदाय का दौरा करें और उच्च रक्तचाप से पीड़ित 5 लोगों का चयन करें। उनका नाम, आयु, लिंग, लक्षण और आहार रिकॉर्ड करें। सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों का खाने की आवृत्ति भी रिकॉर्ड करें।

    Q4. पास के सरकारी प्राथमिक विद्यालय का दौरा करें और मिड डे मील कार्यक्रम के किन्हीं 10 लाभार्थियों का चयन करें। प्रत्येक लाभार्थी को एक सप्ताह के लिए दिया गया पूरक भोजन रिकॉर्ड करें। इसके लिए उनके विचार और पसंद नापसंद को भी रिकॉर्ड करें

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    FREE IGNOU DNHE-02 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता SOLVED ASSIGNMENT Jan–Dec 2025

    We provide handwritten PDF and Hardcopy to our IGNOU and other university students. There are several types of handwritten assignment we provide all Over India. We are genuinely work in this field for so many time. You can get your assignment done - 8130208920

    Important Note - You may be aware that you need to submit your assignments before you can appear for the Term End Exams. Please remember to keep a copy of your completed assignment, just in case the one you submitted is lost in transit.

    Submission Date :

    ·        30 April 2025 (if enrolled in the July 2025 Session)

    ·       30th Sept, 2025 (if enrolled in the January 2025 session).

    IGNOU Instructions for the DNHE 002 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता Assignments

    FREE IGNOU DNHE-02 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता SOLVED ASSIGNMENT Jan–Dec 2025

    Before attempting the assignment, please read the following instructions carefully.

    1. Read the detailed instructions about the assignment given in the Handbook and Programme Guide.

    2. Write your enrolment number, name, full address and date on the top right corner of the first page of your response sheet(s).

    3. Write the course title, assignment number and the name of the study centre you are attached to in the centre of the first page of your response sheet(s).

    4Use only foolscap size paper for your response and tag all the pages carefully

    5. Write the relevant question number with each answer.

    6. You should write in your own handwriting.

    GUIDELINES FOR IGNOU Assignments 2024-25

    FREE IGNOU DNHE-02 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता SOLVED ASSIGNMENT Jan–Dec 2025

    You will find it useful to keep the following points in mind:

    1. Planning: Read the questions carefully. Go through the units on which they are based. Make some points regarding each question and then rearrange these in a logical order. And please write the answers in your own words. Do not reproduce passages from the units.

    2. Organisation: Be a little more selective and analytic before drawing up a rough outline of your answer. In an essay-type question, give adequate attention to your introduction and conclusion. The introduction must offer your brief interpretation of the question and how you propose to develop it. The conclusion must summarise your response to the question. In the course of your answer, you may like to make references to other texts or critics as this will add some depth to your analysis.

    3. Presentation: Once you are satisfied with your answers, you can write down the final version for submission, writing each answer neatly and underlining the points you wish to emphasize.

    IGNOU Assignment Front Page

    The top of the first page of your response sheet should look like this: Get IGNOU Assignment Front page through. And Attach on front page of your assignment. Students need to compulsory attach the front page in at the beginning of their handwritten assignment.

    ENROLMENT NO: …………………………

    NAME: …………………………………………

    ADDRESS: ………………………………………

    COURSE TITLE: ………………………………

    ASSIGNMENT NO: …………………………

    STUDY CENTRE: ……………………………

    DATE: ……………………………………………

    FREE IGNOU DNHE-02 सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता SOLVED ASSIGNMENT Jan–Dec 2025

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