सरकारिया आयोग की क्या सिफारिशें थीं

सरकारिया आयोग की क्या सिफारिशें थीं

सरकारिया आयोग की क्या सिफारिशें थीं-सरकारिया आयोग, जिसे संयुक्त लोक सेवा (UPSC) भी कहा जाता है, भारत सरकार के लिए सिविल सेवाओं की भर्ती का प्रमुख आधार है। यह आयोग स्वतंत्र भारत की स्थापना के समय 1 अक्टूबर 1926 को स्थापित हुआ था और इसने विभिन्न संघ, राज्यों, और केंद्र शासित प्रदेशों में सिविल सेवाओं की नियुक्तियों को संगठित रूप से किया है। इस आयोग की सिफारिशें विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और समृद्धि के लिए कई बदलावों का सुझाव देती हैं। इस लेख में, हम सरकारिया आयोग की कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशों पर विचार करेंगे और उनका परिचय करेंगे।

सरकारिया आयोग की क्या सिफारिशें थीं

आयोग की उत्पत्ति:

सरकारिया आयोग की उत्पत्ति ब्रिटिश शासन के दौरान आई थी, जब ब्रिटिश भारतीय सेवाएं बनाई गई थीं। इस आयोग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन को इस सुनिश्चित करना था कि भारतीय नागरिकों को सरकारी सेवाओं में अच्छे से व्यवस्थित, सामंजस्यपूर्ण, और विनामूल्य तरीके से भर्ती किया जाता है। 

सरकारिया आयोग की क्या सिफारिशें थीं-साकारात्मक सामाजिक और आर्थिक बदलावों के चलते, संस्थान के स्वरूप में भी कई परिवर्तन हुए हैं, लेकिन सरकारिया आयोग का मुख्य उद्देश्य अब भी उसी रूप में है।

मुख्य सिफारिशें:

परीक्षा प्रक्रिया में सुधार: सरकारिया आयोग ने अपनी सिफारिशों के माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा प्रक्रिया में सुधार करने की सलाह दी है। यह शामिल करता है प्रीलिम्स परीक्षा, मुख्य परीक्षा, और साक्षात्कार। इसने परीक्षा पैटर्न में परिवर्तन की प्रस्तावना की है ताकि यह विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रतिस्थापन कर सके और भूतकालिन और समकालिन विषयों के साथ मिलाकर सरकारी सेवाओं में योग्यता और समर्पण की बढ़ावा कर सके।

आवेदन प्रक्रिया का तात्कालिक और अनुकूलन: आयोग ने आवेदन प्रक्रिया को तात्कालिक और अनुकूलन के लिए सुझाव दिया है। यह आवेदन करने वालों के लिए प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित बनाने के लिए कई कदमों की सिफारिश करता है, जैसे कि ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया, आवेदन फॉर्म की सुविधा, और आवेदन स्थिति की ताजगी का सुनिश्चित करना।

प्रशिक्षण और विकास के लिए सुधार: सरकारिया आयोग ने प्रशिक्षण और विकास के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण सुधार की सिफारिश की है। यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि सिविल सेवा क्षेत्र के अधिकारियों को उच्च स्तर की तकनीकी और व्यक्तिगत विकास सुविधाएं प्रदान की जाएं, जिससे वे अच्छे प्रशासनिक क्षमताओं के साथ कार्य कर सकें।

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भूतकालिन और समकालिन विषयों का समावेश: सरकारिया आयोग ने प्रमोटियन के लिए भूतकालिन और समकालिन विषयों को समाहित करने के लिए सिफारिशें दी हैं। यह नक्कारात्मक प्रभाव को कम करने और योग्यता के मामूल्य को बढ़ावा देने का एक कदम है, जिससे सिविल सेवा में और भी उत्कृष्टता देखी जा सकती है।

रिक्त पदों की पूर्ति के लिए सुधार: सरकारिया आयोग ने रिक्त पदों की पूर्ति में सुधार करने के लिए सिफारिशें भी दी हैं। यह केवल सरकारी सेवाओं को निरंतरता से चलाने में मदद करेगा, बल्कि यह भी सिविल सेवा में नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को एक और अवसर प्रदान करेगा।

विभिन्न क्षेत्रों की नौकरियों के लिए आवेदन की सुविधा: आयोग ने सिविल सेवा की परीक्षा के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों की नौकरियों के लिए एक सामान्य परीक्षा प्रक्रिया की सुविधा प्रदान करने के लिए सिफारिशें दी हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि विभिन्न क्षेत्रों में योग्य और प्रतिबद्ध उम्मीदवार सिविल सेवा में शामिल होने का एक और माध्यम है।

आचार संहिता में सुधार: सरकारिया आयोग ने आचार संहिता में सुधार करने के लिए सिफारिशें की हैं ताकि सरकारी सेवाएं न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से चल सकें। यह आम नागरिकों को विश्वास दिलाएगा कि सरकारी सेवाएं सबके लिए उपलब्ध हैं और उन्हें अच्छे से सेवाएं मिलती हैं। आचार संहिता में सुधार करने से यह सुनिश्चित होगा कि नौकरी में नियुक्ति और पदों का वितरण निष्पक्ष रूप से होता है, जिससे भ्रष्टाचार की कमी होगी और लोगों के बीच विश्वास बढ़ेगा।

स्तरों के आधार पर आरक्षण की सुविधा: सरकारिया आयोग ने आरक्षण के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर नौकरियों की प्राप्ति के लिए सुधार करने की सिफारिशें भी की हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि समाज के विभिन्न वर्गों और जातियों के लोगों को भी समान अवसर मिले और वे भी सरकारी सेवाओं में शामिल हो सकें।

नेतृत्व और शिक्षा का महत्व: आयोग ने नेतृत्व के क्षेत्र में और भी महत्वपूर्ण सुधार करने की सिफारिशें की हैं। यह नए और निर्भर नेतृत्व की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगा और सरकारी सेवाओं को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही, शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार करने की सिफारिशों से सुनिश्चित होगा कि सिविल सेवा क्षेत्र के अधिकारियों को उच्च स्तर की शिक्षा और प्रशिक्षण की सुविधाएं प्राप्त हों, जिससे वे अच्छे प्रशासनिक नौकरियों में योग्य हो सकें।

गबन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सुधार: आयोग ने गबन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सुधार को बढ़ावा देने के लिए कई सुझाव दिए हैं। यह भ्रष्टाचार को कम करने के लिए नए कार्रवाईक तरीकों को सुझाव देता है और लोगों को इस समस्या की ओर ध्यान लेने के लिए प्रेरित करता है। इससे सरकारी सेवाओं में न्यायपूर्णता और सत्ता का उपयोग सही तरीके से हो सकेगा।

संक्षेप:

सरकारिया आयोग की सिफारिशें ब्रिटिश शासन के समय से ही शुरू हो गईं थीं और उस समय से इसने भारतीय सिविल सेवाओं को संचालन के लिए सुझाव दिए हैं। यह आयोग भारतीय सरकार को अच्छे और योग्य अधिकारीयों को नियुक्ति करने में मदद करता है, जिससे सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ सके। उसकी सिफारिशों का पूरा होना देश के सामरिक और आर्थिक विकास में सहायक हो सकता है, और यह सिफारिशें स्थिति को बेहतर बना सकती हैं।

प्रभाव:

अधिक तकनीकी योग्यता: सरकारिया आयोग द्वारा सुझाए गए सुधारों के परिणामस्वरूप, सिविल सेवा क्षेत्र के अधिकारी और कर्मचारी अब अधिक तकनीकी योग्यता और प्रशिक्षण के साथ संपन्न हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सेवाएं नवीनतम तकनीकी और प्रबंधन उपायों के साथ कार्य कर रही हैं, जिससे सरकारी प्रक्रियाएं और योजनाएं और भी सुचारू बन सकती हैं।

न्यायपूर्ण और निष्पक्ष नौकरियां: सिफारिशों के माध्यम से की गई प्रक्रिया में हुए सुधारों के चलते, नौकरी में नियुक्तियों का वितरण न्यायपूर्ण और निष्पक्ष हो रहा है। अब सभी वर्गों और जातियों के लोगों को समान अवसर मिल रहे हैं और सरकारी सेवाओं में भागीदारी में वृद्धि हो रही है।

प्रशासनिक कुशलता में सुधार: आयोग द्वारा की गई सिफारिशों ने प्रशासनिक कुशलता में भी सुधार किया है। अब सिविल सेवा क्षेत्र के अधिकारी और कर्मचारी प्रबंधन, समस्या समाधान, और सुचारू प्रबंधन में अधिक कुशल हैं।

भ्रष्टाचार कमी: आयोग द्वारा सुझाए गए उपायों के कारण, सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार में कमी हो रही है। स्वतंत्र और न्यायपूर्ण आयोग की निगरानी में कार्रवाई करने की क्षमता ने सुनिश्चित किया है कि भ्रष्टाचार का कोई स्थान नहीं है और सभी प्रक्रियाएं सामाजिक न्यायपूर्ण और ईमानदारी से हो रही हैं।

उच्च स्तर का नेतृत्व: आयोग ने नेतृत्व के क्षेत्र में सुधार करने की सिफारिशें देने से सुनिश्चित किया है कि सरकारी सेवाएं अब उच्च स्तर के नेतृत्व के साथ चल रही हैं। यह नेतृत्व नई और उन्नत प्रक्रियाओं को लागू करने की सामरथ्य को मजबूत करता है और सेवाएं अधिक उत्कृष्ट बनती हैं।

 

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