The Science of Getting Rich book summary in hindi The Science of Getting Rich, Wallance Delois Wattles के द्वारा 1910 ई0 में लिखी गई एक ऐतिहासिक पुस्तक है, जो लाखों—करोड़ों की life बदल चुकी है। सौ से अधिक वर्षों के बीत जाने के बाद भी इस पुस्तक का importance कम नहीं हुआ है। Writer born अमेरिका में हुआ था और अपने begining दिनों में उन्हें भारी तनाव, गरीबी एवं विफलताओं के दौर से गुजरना पड़ा था।
अंतत: उन्होंने अपना जीवन बदलने का फैसला किया। उन्हीं के शब्दों में, यदि आप RICH, successful एवं healthy बनने का निर्णय नहीं लेते हैं तो समझिए कि अनजाने में आपने गरीब, नाकामयाब एवं रोगी बनने का फैसला कर लिया है। लेखक के अनुसार यह पुस्तक हर उस स्त्री अथवा पुरूष को धनवान बनाने के लिए लिखी गई है, जो इस पर trust एवं अमल करेगें। इस पुस्तक में कुल सतरह अघ्याय हैं।
पहला अध्याय
The Right to be Rich (RICH बनने का अधिकार)
The Science of Getting Rich book summary in
hindi
धन के बिना मनुष्य का पूर्ण एवं सफल जीवन जीना कठिन ही नहीं असंभव भी है। लगातार विकास ही हमारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है एवं धन के बिना मनुष्य का मानसिक, शारीरिक एवं आत्मिक विकास असंभव है। अत: आज के इस अर्थयुग में धनी बनने के विज्ञान को जानना बेहद जरूरी है।
कम में संतोष कर लेने से बड़ा पाप इस संसार में नहीं है। जब आप बड़ी सफलता पाने की योग्यता रखते हों तो कम में संतोष क्यों किया जाए। NATURE भी उन्नति, प्रसार तथा विकास को पसंद करती है।
धनी बनने की कामना, हमारे जीवन के तीन अंग तन, मन और आत्मा के विकास के लिए बेहद जरूरी है। The Science of Getting Rich book summary in hindi , शरीर के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के साथ—साथ कठोर परिश्रम से मुक्ति, मन के लिए अच्छे साहित्य एवं अन्य मनोरंजन के साधन एवं आत्मा के लिए प्रेम अतिआवश्यक है। और गरीबी में इन तीनों यानि तन, मन और आत्मा की संतुष्टि नहीं हो सकती। इसलिए धनी बनना हमारा प्रथम कर्तव्य है।
पहले तो आपके अंदर RICH बनने की कामना होनी चाहिए फिर ध्यानपूर्वक इसकी पूर्ति के लिए सहयोगी विज्ञान का अध्ययन करना चाहिए।
अध्याय दो
There is a Science of getting rich (अमीरी का विज्ञान है)
लेखक का कहना है कि गणित एवं भौतिकी की तरह ही अमीरी का भी नियम है। कोई भी इन्हें सीखकर एवं पालनकर RICH बन सकता है। एक निश्चित कार्य प्रणाली के साथ लगातार TRY करने से धन की प्राप्ति होती है, जो लोग जाने अनजाने में इस कार्य प्रणाली का पालन करते हैं वे RICH बन जाते हैं अबकि बाकी लोग कठिन परिश्रम करने के बाद भी गरीब रह जाते हैं।
RICH बनना किसी विशेष वातावरण या पेशे का परिणाम नहीं होता है। यहाँ तक कि अमीरी का संबंध बुद्धिमानी, विशेष योग्यता, प्रतिभा से भी नहीं है। अक्सर दुनियाँ में बड़े—बड़े प्रतिभावान व्यक्ति कम प्रतिभा वाले के यहाँ नौकरी करते हैं। अमीरी कंजूसी से धन संग्रह करने का भी परिणाम नहीं है। RICH बनने के लिए एक निर्धारित कार्यप्रणाली पर निरंतर TRY करना बहुत जरूरी है।
दुनियाभर में अमीरों की संख्या कम और गरीबों की संख्या ज्यादा को देखते हुए सवाल किया जा सकता है कि RICH बनने का मार्ग कहीं कठिन तो नहीं है? बिल्कुल नहीं है, क्योंकि NATURE ने RICH बनने के लिए आवश्यक गुण हम सभी में पहले से ही डाले हैं, तभी तो बुद्धिमान, प्रतिभावान, मूर्ख, स्वस्थ, अस्वस्थ, बलवान तथा कमजोर सभी प्रकार के लोग RICH बन चुके हैं। यदि आपके शहर के एक आदमी RICH बन सकते हैं तो आप भी RICH बन सकते हैं।
जिस काम में आपकी रूचि है अगर आप उसी काम में हाथ डालेंगे तभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पायेगें। यदि समान व्यापार में आपका पड़ोसी आपसे अधिक कामयाब है तो इसका सीधा अर्थ है कि आप दोनों के कार्यप्रणाली में अंतर है। यदि आप धनी बनना चाहते हैं तो आपको अपने पड़ोसी के कार्यप्रणाली को अपनाना होगा।
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अध्याय तीन
Is opportunity monopolised ? (क्या अवसर पर एकाधिकार है?)
धन पर किसी व्यक्ति विशेष का एकाधिकार नहीं है। NATURE किसी को भी अवसर का लाभ उठाने से नहीं रोकती है। राजा हो या रंक, RICH हो या गरीब, नौकर हो या मालिक NATURE सभी को समान रूप से आगे बढ़ने के अवसर देती है। नौकरों को उनके मालिकों द्वारा दबाकर या फिर बड़े व्यापार के माध्यम से कुचलकर गरीब नहीं बनाया जाता है बल्कि उन लोगों की कार्यप्रणाली, सोच तथा नजरिया अमीरी के विज्ञान के विरोधी होते हैं।
आपूर्तिै के अभाव में यहाँ किसी को निर्धन नहीं रखा गया है, NATURE के गर्भ में छिपी आपकी आवश्यकता से कहीं अधिक संपदा आपको आपूर्ति के लिए तैयार है।
EVERY वस्तु की रचना जिस मूल तत्व से हुआ है, विचार उस मूल तत्व का एक अंश मात्र है। अत: मूलतत्व भी सोचने समझने की क्षमता रखता है। मूल तत्व जीवन को प्रचुरता यानि अधिकता की ओर प्रेरित करते हुए लगातार कार्य करता है।
अध्याय चार
The First Principle in the Science of getting
rich (अमीरी के विज्ञान के प्रथम नियम)
अनाकार तत्व से भौतिक वस्तुओं का निर्माण विचार का ही कार्य है। हम विचारों के संसार में जीते हैं जो विचारतत्व का एक अंशमात्र है। EVERY निर्माण के विचार की तरंगों को विचार तत्व द्वारा ठोस आकार प्रदान किया जाता है, परंतु इसके लिए निर्माण से संबंधित पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का पालन करना अनिवार्य होता है।
जो भी विचार आपके मस्तिष्क में जन्म लेता है, संसार में उसका अस्तित्व दृश्य अथवा अदृश्य रूप में कहीं न कहीं अवश्य होता है, जिसे अमीरी के विज्ञान का पालन करके आसानी से पाया जा सकता है।
हमारा mind विचारों का केन्द्र है जहाँ विचारों का जन्म होता है। हम जो कुछ भी बनाते हैं, उसका निर्माण सर्वप्रथम मस्तिष्क में ही होता है। बिना सोच—विचार के किसी प्रकार के निर्माण संभव नहीं है।
अभी तक हमारे सभी TRY शारीरिक श्रम द्वारा ही किया जाता है। कोई भी निर्माण, रूपांतरण अथवा परिवर्तन के द्वारा ही किया जा रहा है। विचारों के द्वारा अनाकार तत्व से निर्माण के बारे में अभी तक सोचा भी नहीं गया है। हम अभी अपने विचारों की पूर्ति के लिए NATURE के साधनों पर ही निर्भर हैं। मनुष्य द्वारा ईश्वर की भांति निर्माण करने के विषय में अभी तक विचार तक नहीं किया गया है।
शारीरिक श्रम के बिना नव निर्माण के विषय में सोचने के लिए निम्न मौलिक तथ्यों पर विश्वास करना आवश्यक है—
1.
सभी चीजों का निर्माण विचार तत्व से हुआ है, यही वह मूल पदार्थ है जो दृश्य—अदृश्य रूप में भिन्न—भिन्न आकार—प्रकार में सब जगह मौजूद है।
2.
इस तत्व के अंदर जन्में विचार के अनुरूप ही वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
3.
मानव मस्तिष्क मनचाहे विचारों को जन्म देकर अनाकार तत्व की सहायता से उन्हें साकार करने की क्षमता रखता है।
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अपने मनपसंद कार्यों को करने से आप वह सोचना आरंभ कर देते हैं जिसे सोचना आपको अच्छा लगता है, यही अमीरी का पहला नियम है। हम वह सभी कुछ सोच सकते हैं, जो हम सोचना चाहते हैं। मनुष्य के लिए ईश्वर का यह सबसे बड़ा वरदान है।
परंतु अदृश्य (भविष्य) के विषय में सोचना दृश्य (वर्तमान) के विषय में सोचने से ज्यादा कठिन है। क्योंकि जो दिखाई देता है उससे सहमत हो जाना बहुत ही आसान है। जबकि अदृश्य के विषय में सोचना, उसकी योजना बनाना थोड़ा मुश्किल काम है। इसलिए अधिकांश लोग इससे दूर भागते हैं। जो सामने दिखई देता है उसे स्वीकार करना आसान है, अत: हम जो कुछ भी देखते हैं, वही हमारी सोच बन जाती है। इसके विपरीत अपनी सोच को तैयार करना फिर उसे साकार रूप देना कठिन एवं ईमानदारी से भरा कार्य है।
आप जिसे पाना चाहते हैं केवल उसके बारे में सोचिये या देखिये, जिसे आप नहीं चाहते हैं उसके बारे में मत सोचिये। ऐसी धर्म सभाओं में जाने से बचें जहाँ अधिकतर यह सिखाया जाता है कि धन—दौलत सभी बुराइयों एवं विपत्तियों की जड़ है। लक्ष्य के विपरीत दिशा मे ले जाने वाली पुस्तकों, पत्र—पत्रिकाओं से दूर रहें।
उपर कहे गये तीन तथ्यों पर पूर्ण विश्वास करें एवं बिना तर्क—वितर्क एवं बहस के इसका पालन करें, एवं इन्हें अपनी आदत में शामिल कर लें।
अध्याय पाँच
Increasing Life (जीवन विस्तार)
विस्तार जीवन का लक्षण है। EVERY जीवित पदार्थ अपने लिए निरंतर विस्तार खोजता है। जीवन के विकास हेतु विस्तार सदैव जारी रहेगा तथा रहना भी चाहिए। हमारा मस्तिष्क भी विस्तार पसंद करता है। EVERY विचार एक नये विचार को जन्म देता है। NATURE से अधिक की कामना करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। आप RICH बने ईश्वर भी यही चाहता है। आपके माध्यम से सर्वश्रेष्ठ को प्रदर्शित करना उसका उद्देश्य है। आपमें जीते हुए अनंत संभावनाओं तथा जीवन की पूर्णता को वह सिद्ध करना चाहता है। इस महान कार्य में आप भी ईश्वर का सहयोग कर सकते हैं।
NATURE की अभिलाषा है आप भी वह सब कुछ पाए्ं जो आप पाना चाहते हैं। कुदरती तौर पर सभी कुछ आप ही का है, सर्वप्रथम इस सच्चाई को स्वीकार करें। आपका उद्देश्य मात्र स्वार्थ से प्रेरित न होकर बहुजन हिताय—बहुजन सुखाय के भाव से प्रेरित होना चाहिए। आपका लक्ष्य भौतिक , मानसिक तथा आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाए रखते हुए जीवन निर्वाह करने का होना चाहिए। जीने का यही तरीका सही है। कुदरती तौर पर हम सभी इस कला में माहिर होते हैं। अभावग्रस्त, अपमानजनक एवं तुच्छ जीवन जीना पशु की तरह जीने के समान है।
याद रखें, अत्यधिक स्वार्थ तथा समर्पण भाव दोनों ही सफलता के मार्ग की प्रमुख बाधाएँ हैं। ईश्वर आपका बलिदान चाहता है, ऐसी दकियानुसी बातों पर भरोसा न करें। ईश्वर आपसे आपका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चाहता है, जिसके माध्यम से आप सही मायने में अन्य लोगों को भी मदद कर सकते हैं। अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए आपको RICH बनना होगा।
छीना झपटी, ईर्ष्या तथा प्रतिस्पर्द्धा से दूर रहें। अत्यधिक मौलभाव अथवा बहस न करें। निजि स्वार्थ के लिए किसी को धोखा न दें। योग्यता से कम मूल्य में न तो किसी के लिए काम करें न ही किसी से काम लें। किसी अन्य की संपत्ति को ललचाई नजरों से न देखें।
जहाँ तक संभव हो लाचार प्रवृति से दूर रहें। ईश्वर ने किसी व्यक्ति विशेष को अधिक योग्यता दी है, ऐसा नहीं है । हम सभी में समान क्षमताएँ है। आपको निर्माता बनना चाहिए न कि प्रतियोगी फिर आपको वह सब कुछ मिलेगा जो आप पाना चाहते हैं, तथा प्राप्त करने के इस क्रम में आपसे जुड़े सभी लोगों को इसका लाभांश दिया जायेगा। आपकी अमीरी के लिए आवश्यक संपत्ति को पैदा करने के लिए समस्त POWERयां तैयार है। परंतु सवाल यह है कि क्या आप तैयार है? प्रत्यक्ष के मुकाबले परोक्ष पर अधिक ध्यान दें, क्योंकि भले ही कोई आपके प्रत्यक्ष को कब्जा लें, वह आपके हिस्से का परोक्ष नहीं हथिया सकता।
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अध्याय छ:
How Riches Come to You (लक्ष्मी आपके द्वार)
Customer को उसके द्वारा दी गई कीमत से अधिक cost की वस्तु भी नहीं दी जा सकती, किन्तु उसे उसके लिए अधिक उपयोगी एवं उच्च गुणवत्ता की वस्तु दी जा सकती है।
Competition छोड़कर जब आप निर्माण पर अपना ध्यान focus करते हैं तो लोगों की मदद करना आपके लिए अधिक Easy हो जाता है। तब आप किसी अन्य से मुकाबला करना छोड़ स्वयं के साथ मुकाबला करना आरंभ कर देते हैं, यह तरीका सबसे अधिक सरल है। दृढ़ इच्छा POWER के माध्यम से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। बशर्ते कि आपकी कामना के पीछे उन्य लोगों का लाभ भी छिपा हो। अधिक की कामना करने में घबराने, शर्म अथवा संकोच करने की आवश्यकता नहीं है। ईशा मसीह के अनुसार— मांगो तुम्हें दिया जायेगा, खटखटाओं द्वार तुम्हारे लिए खोला जायेगा, ढूँढों मार्ग तुम्हें दिखाया जाएगा। परमपिता की भी यही ईच्छा है। जीवन में प्रचुरता के लिए हमें जो कुछ भी चाहिए, उसे हम तक पहुँचाने का कार्य मूल तत्व कर ही रहा है तथा हमेशा करता रहेगा। पैगम्बर पॉल के अनुसार — वह ईश्वर ही है जो आपके माध्यम से सपना देखता है, तथा उसे साकार भी करता है।
आशाएँ, आकांक्षाएं तथा अपेक्षाएं ईश्वर के वरदान हैं। ये ईश्वर के समान अनंत हैं, अत: इसकी पूर्ति ईश्वर ही कर सकते हैं।
फिर अधिक की अपेक्षा करने में कैसा संकोच।
अधिकतर लोग गलत धारणाओं के शिकार हैं। अनका मानना होता है कि दरिद्रता, बलिदान एवं समझौते का जीवन जीने से भगवान को happy किया जा सकता है। गरीबी को वे ईश्वर रचित भाग्य का खेल मानते हैं। अधिक की कामना को लालच एवं संतोष को अपने जीवन का आधार मानते हैं।
अध्याय सात
Gratitude (कृतज्ञता)
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मस्तिष्क को एक निर्धारित लक्ष्य के लिए नियंत्रित एवं संतुलित करने की प्रक्रिया को आपके कृतज्ञतापूर्ण दृष्टिकोण के माध्यम से सरल तथा संभव बनाया जा सकता है।
सर्वप्रथम आपको यह विश्वास करना होगा कि सभी प्रकार की गतिविधियों का शुभारंभ बुद्धिमान तत्व से ही होता है। दूसरा आपकी समसत इच्छाओं की पूर्ति के लिए एकमात्र यही तत्व मूलस्रोत है। तथा तीसरा इससे तालमेल बैठाने का एकमात्र तरीका है—कृतज्ञता।
दरिद्र यानि गरीब लोगों के पास कृतज्ञता का अभाव होता है। वे कहते नहीं थकते कि भगवान ने उनके भाग्य में गरीबी लिखकर उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है। ऐसा कहकर वे परमेश्वर द्वारा उनके लिए तैयार किये गये विशेष कार्यक्रम में निरंतर बाधा डालते रहते हैं।आज जितनी भी चीजें आप तक पहुँच रही है, वे सभी एक पूर्व निर्धारित मार्ग से होते हुए आपकी ओर यात्रा कर रही है। आपकी कृतज्ञता इस यात्रा की गति को बढ़ाने के साथ—साथ आपके लिए IMPORTANT चीजों के आप तक पहुंचने के और अधिक रास्ते खोल देती है। कृतज्ञता आपके मस्तिष्क को नकारात्मक एवं घातक विचारों से भी बचाती है।
कृतज्ञता में continuesly के अभाव के चलते अविश्वास की भावना पैदा होती है। जिस पल मन में अविश्वास पैदा होता है, उसी पल पतन होना शुरू हो जाता है। जब अपना ध्यान आप गरीबी, दरिद्रता तुच्छता अथवा लाचारी पर focus करना आरंभ करते हैं तो आपका मस्तिष्क इनसे संबंधित भावनाएँ तैयार करना तथा इन्हें प्रसारित करना आरंभ कर देता है। फलत: आप अपनी भावना से मेल खाते लोगों को अपनी ओर attract करना आरंभ कर देते हैं। कृतज्ञ मस्तिष्क हमेशा POSTIVE THINKING को जन्म देता है। यह लाभदायक परिणामों के लिए प्रोग्राम कर दिया जाता है, इसीलिए इसे हमेशा लाभदायक परिणाम ही प्राप्त होते हैं। कृतज्ञता से विश्वास का भी जन्म होता है।
अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए आपको हर अच्छी बुरी चीज के लिए आभार प्रदर्शित करने की आदत डालनी होगी।
अनावश्यक या नकारात्मक विषय पर चर्चा करके व्यर्थ में अपना समय बरबाद न करें।
आज हम जहाँ पर भी हैं वहाँ तक हमें पहुंचाने के लिए ईश्वर की एक विशेष योजना लंबे समय से कार्य कर रही है। इस योजना का खंडन करने के बजाय हमें यह मान लेना चाहिए कि ईश्वर अपनी जगह बिल्कुल सही है तथा वह हमारा भला ही चाहते हैं।
अध्याय आठ
Thinking in the certain way (सोच निर्धारित दिशा में)
मनचाहे को प्राप्त करने के लिए पहले आपको अपना मस्तिष्क इसके लिए प्रोग्राम करना होता है, तभी आपका मस्तिष्क इससे संबंधित तरंगों का प्रेषण करने में कामयाब हो पाएगा। अनेक लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं, क्योंकि वे पहले से ही परिणामों की अपेक्षा करते हैं। अपनी इच्छाओं को लेकर वे हमेशा दुविधा की स्थिति में रहते हैं। ऐसे में वे विचार तत्व तक अपनी बात पहुँचाने में असफल हो जाते हैं, तथा जाने—अंजाने मे अपने सपने से हाथ धो बैठते हैं।
जब आप अविश्वास एवं शंका के साथ अपने विचार पर कार्य करना आरंभ करते हैं तो अपनी विफलता को आप पहले ही सुनिश्चित कर चुके होते हैं। हमेशा बड़ा सोचें। आप अपने भविष्य को वर्तमान की भांति अनुभव करना आरंभ कर दें। अपने लक्ष्य पर नजर जमाएँ रहें और फुरसत के क्षणों में अपने विचार को निरंतर पोषण देते रहें। आपका रोम—रोम goal के लिए उत्साहित एवं आनंदित रहना चाहिए। ऐसे में आपका मस्तिष्क कम्पन्न करना शुरू कर देता है। इसमें विशेष प्रकार की तरंगें उत्सर्जित होनी शुरू हो जाती है।
अलाउद्दीन की तरह सभी कुछ आपके हाथ में है। बस आपको स्वयं को शेखचिल्ली बनने से बचाना होगा। अपने सपने को साकार करना आपका प्रथम उद्देश्य होना चाहिए, साथ ही आपको यह विश्वास भी होना चाहिए कि आप उसे साकार कर सकते हैं।
अध्याय नौ
How to use the will (इच्छाPOWER का सदुपयोग)
इच्छाPOWER आपको RICH बनने में भरपूर मदद कर सकती है। अपनी इच्छाPOWER का उपयोग खुद के लिए ही करें दूसरे के लिए नहीं चाहे उसमें उसकी भलाई ही क्यों न हो।
अपनी इच्छाPOWER को सुनिश्चित दिशा में सोचने तथा मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल करें । एक समय में अपने विचारों को दसों दिशाओं में फैलाने का TRY नहीं करें। आपका विश्वास एवं उद्देश्य जितना अधिक गहरा होगा आप उतनी ही तेजी से SUCESS हासिल करेंगें।
यदि आप RICH बनना चाहते हैं तो जरूरी नहीं है कि इसके लिए गरीबी का अध्ययन किया जाए।
विपरीत दिशा में कोई काम करके हम सपनों को साकार नहीं कर सकते हैं। बीमारियों का अध्ययन करके हम आरोग्य को खोजने का TRY करते हैं, पाप का study करके हम पुण्य सीखने का TRY करते हैं। निर्धनता का अध्ययन करके हम RICH कैसे बन सकते हैं? भूलकर भी गरीबी का गहराई से अध्ययन करने का TRY नहीं करें। दान—धर्म के कार्यो अथवा निर्धनता के समूल नाश की बातें करने वाली संस्थाओं के चक्कर में व्यर्थ का अपना समय बरबाद मत करें।
RICH बनने का TRY करके ही आप निर्धनता से लड़ सकते हैं। गरीबों को किसी की सांत्वना, कृपा, दया अथवा भिक्षा की नहीं बल्कि प्रेरणा की गरीबों को आवश्यकता है। यदि आप वास्तव में गरीबों की मदद करना चाहते हैं तो पहले आप स्वयं RICH बनें, फिर RICH बनने में गरीबों की मदद करें।
अध्याय दस
Further use of the will (सफलता का बीज)
अपने dream का विरोध करते हुए अथवा विपरीत दिशा में कार्य करते हुए, उसके साकार होने की आशा करना बेकार है। बीते हुए कल की परेशानियों या संघर्षों के बारे में अधिक मत सोचें। अपने पूर्वजों की कमजोर आर्थिक स्थिति अथवा कठिनाईयों की बार—बार चर्चा नहीं करें। ऐसा करने से आपके मस्तिष्क हीन भावनाओं से ग्रसित होना शुरू हो जायेगा। परिणामस्वरूप यह आपके POSTIVE THINKING की गति को धीमा कर देता है। अच्छी बातों को सीखने में समय लगाएँ। निराशाजनक सूचनाएँ देने वाले लोगों या पत्र—पत्रिकाओं से दूर रहें।
God ने सफलता का बीज आपके मस्तिष्क में डाला है, दिन—रात POSTIVE THINKING से उसे पोषित करें, नकारात्मक से उसकी रक्षा करें, उसके लिए वातावरण तैयार करें ताकि वह उचित दिशा में सही प्रकार से वृद्धि कर सके।
Sucess के top पर पहुँचना मानव जीवन का महानतम लक्ष्य है। प्रतियोगिता के मार्ग् से होते हुए RICH बनने का TRY करना NATURE के नियमों के खिलाफ है पर यही कार्य जब रचनात्मक विचारों के साथ किया जाए तो सभी कुछ बदल जाता है। बस आपको अपने सपने पर