लेगिक सतरीकारण में जाति के आघारो

 

लेगिक सतरीकारण में जाति के आघारो

प्रत्येक बच्चे का अधिकार है कि उसकी क्षमता के विकास का पूरा मौका मिले. लेकिन लैंगिक असमानता की कुरीति की वजह से वह ठीक से फल फूल नहीं पते है साथ हैं भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच   केवल उनके घरों और समुदायों में बल्कि हर जगह लिंग असमानता दिखाई देती है. लेगिक सतरीकारण में जाति के आघारो  पाठ्यपुस्तकोंफिल्मोंमीडिया आदि सभी जगह उनके साथ लिंग के अधरा पर भेदभाव किया जाता है यही नहीं एंका देखभाल करने वाले पुरुषों और महिलाओं के साथ भी भेदभाव किया जाता है

 भारत में लैंगिक असमानता के कारण अवसरों में भी असमानता उत्पन्न करता हैजिसके प्रभाव दोनों लिंगो पर पड़ता है लेकिन आँकड़ों के आधार पर देखें तो इस भेदभाव से सबसे अधिक लड़कियां आचे आसरों से वंचित रह जाती हैं।

आंकड़ों के आधार पर विश्व स्तर जन्म के समय लड़कियों के जीवित रहने की संख्या अधिक है साथ ही साथ उनका विकास भी व्यवस्थित रूप से होता है. उन्हें पप्री स्कूल भी जाते पाया गया है  जबकि   भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जहां लड़कों की अनुपात में अधिक लड़कियों का मृत्यु दर अधिक है उनके स्कूल नहा जाने या बेच में ही किनही करणों से स्कूल छोड़ने की प्रवित्ति अधिक पाई गई है .  

भारत में   लड़के और लड़कियों के  बालपन के अनुभव में बहुत अलग होता है यहाँ  लड़कों को लड़कियों की तुलना अधिक स्वतंत्रता  मिलती है. लेगिक सतरीकारण में जाति के आघारो जबकि लड़कियों की स्वतंत्रता  में अनेकों पाबंदियाँ होती हैं एस पाबंदी का असर उनकी शिक्षाविवाह और सामाजिक रिश्तोंखुद के लिए निर्णय के अधिकार आदि को प्रभावित करती है।

 लिंग असमानता एवं लड़कियों और लड़कों के बीच भेदभाव जैसे जैसे बढ़ती जाती हैं इसका असर केवल उनके बालपन में दिखता है बल्कि वयस्कता तक आते आते इसका स्वरूप और व्यापक हो जाता है नतीजतन कार्यस्थल में मात्र एक चौथाई महिलाओं को ही काम करते पाया जाता है।

 हालांकि कुछ  भारतीय महिलाओं को विश्वस्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली पदों पर  नेतृत्व करते पाया गया है,  लेगिक सतरीकारण में जाति के आघारो लेकिन भारत में अभी भी ज्यादातर महिलाओं और लड़कियों को पितृ प्रधान समाज के विचारोंमानदंडोंपरंपराओं और संरचनाओं के कारण अपने अधिकारों का पूर्ण रूप से अनुभव करने की स्वतंत्रता नहीं मिली है। 

समाज में लड़कियों के महत्व को बढ़ाने के लिए पुरुषोंमहिलाओं और लड़कों सभी को संगठित रूप मिलकर चलना होगा. लेगिक सतरीकारण में जाति के आघारो समाज  की धारणा सोच बदलेगीतभी भारत की सभी लड़कियों और लड़कों  को  लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए केंद्रित निवेश और सहयोग की आवश्यकता है। उन्हें शिक्षाकौशल विकास के साथ साथ सुरक्षा प्रदान करना होगा तब ही वे देश के विकास में युगदान कर सकेंगी.   

लड़कियों को दैनिक जीवन में जीवन-रक्षक संसाधनोंसूचना और सामाजिक नेटवर्क तक पहुंचने काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता.

 लड़कियों को विशेष रूप से केंद्रित कर बनाए कार्यक्रमों जैसे शिक्षाजीवन कौशल विकसित करनेहिंसा को समाप्त करने और कमजोर लाचार समूहों से लड़कियों के योगदान को स्वीकार कर उनके पहुँच इन कार्यकमों तक करा कर ही हम लड़कियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बना सकेंगे.

लड़कियों को आधारित कर बनाई गई दीर्घकालिक योजनाओं से ही हम उनके जीवन में संभावनाएँ उत्पन्न करता है .

 हमने  लड़कियो को एक प्लैटफ़ार्म देना होगा जहाँ वे अपनी चुनोतीयों को साझा कर साथ ही साथ एक विकल्प तलाश कर सकें उन चुनोतियों के लिए. जिससे की समाज में उनका बेहतर भविष्य बन सके .

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