भूमंडलीकरण की मुख्य विशेषताओ की व्याख्या कीजिए

 

भूमंडलीकरण की मुख्य विशेषताओ की व्याख्या कीजिए

इसे भूमण्डलीकरण भी कहा जाता है। यह प्रक्रिया वस्तुत: व्यापारिक क्रिया-कलापों के अंतर्राष्ट्रीयकरण की द्योतक है जिसमें सम्पूर्ण विश्व बाजार को एक ही क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। यह राष्ट्रीय बाजारों को विश्व बाजार में बदलने की प्रक्रिया है। इससे विश्व बाजारों में पारस्परिक निर्भरता में बदलने की प्रक्रिया है। इससे विश्व बाजारों में पारस्परिक निर्भरता बढ़ती है और व्यापार राष्ट्रीय सीमाओं से निकलकर विश्व व्यापार की ओर बढ़ने लगता है। 

यह राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय निगमों या बहुराष्ट्रीय निगमों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कुछ विद्वान सम्पूर्ण संसार को एक भूमण्डलीय गांव (Global Village) मानने की अवधारणा को ही वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण कहते हैं।


वैश्वीकरण संकीर्ण राष्ट्रीय व्यापारिक हितों के स्थान पर विस्तृत अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक हितों की स्थापना का नाम है। इसमें सम्पूर्ण विश्व सिमटकर एक हो जाता है।

वैश्वीकरण की परिभाषा

एडवर्ड एस. हरमन के अनुसार, “वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के फैलाव की सक्रिय प्रक्रिया भी है तथा साथ ही आर्थिक सम्बन्धों की एक संरचना भी है जिसका निरन्तर विकास हो रहा है।” “अपने व्यापक अर्थ में वैश्वीकरण केवल शुद्ध आर्थिक प्रक्रिया नहीं है, अपितु यह तो विश्व के सभी भागों में बहने वाले लोगों के मध्य सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक राजनीतिक संबंधों के विकास की व्यापक प्रक्रिया है।” 

इस प्रकार कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण अंतर्राष्ट्रीयवाद को दर्शाने वाली एक प्रक्रिया है। इसमें विभिन्न देशों के पारस्परिक सम्बन्ध तथा उनको बनाए रखने के प्रयास भी शामिल हैं। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय हितों का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया जाता है ताकि वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उद्देश्य प्राप्त करने में सुविधा रहे। इसका आधार मुक्त विश्व व्यापार व्यवस्था है। इसी पर सभी तरह के सम्बन्ध आधारित होते हैं। वैश्वीकरण का अर्थ एवं उसकी विशेषताओं का उल्लेख है।

वैश्वीकरण की विशेषताएं

बहुराष्ट्रीय निगमों की बढ़ती भूमिका ने पूंजी मुद्रा पर लेग नियंत्रण तोड़ दिए हैं और मुक्त व्यापार को बढ़ावा दिया है। उनका कहना है कि इससे विकास दर में वृद्धि होगी, निर्धनता में कमी आएगी और विकासशील देशों का कल्याण होगा। इसलिए उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (WTO) का निर्माण किया है और अर्थव्यवस्था को बाजारोन्मुख बनाने के लिए IMF तथा World Bank की भूमिका में बदलाव की अपेक्षा की है। जिस नए प्रकार की व्यवस्था की ओर हम जा रहे है, वैश्वीकरण की मुख्य विशेषताएं क्या है? वैश्वीकरण विशेषताएं हैं-

1.      श्रम बाजार अन्तर्राष्ट्रीय हो गया है। 1965 में 7) करोड़ व्यक्ति रोजगार की दृष्टि से दूसरे देशों में प्रवाहित हुए थे। अब यह संख्या 12) करोड़ तक पहुंच गई है।

2.      आज विज्ञान प्रौद्योगिकी के विकास ने विश्व के देशों में भौगोलिक दूरियोंं को कम कर दिया है। इसके केवल व्यापार, तकनीकी एवं सेवा क्षेत्र बल्कि आवागमन को भी सरल एवं सस्ता बना दिया है। आज कम्प्यूटर तथा इंटरनेट तेजी से दुनिया को जोड़ रहे हैं।

3.      श्रम बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए कई व्यवस्थित माध्यम तैयार हो गए हैं। आज श्रम एजेंटों की सक्रियता से श्रमिकों का अवैध या वैध व्यापार हो रहा है। श्रम आज तक देशों में पुराने प्रवासियों के नेटवर्क के कारण नए प्रवासियों को मार्ग दर्शन मिल रहा है।

4.      इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रचार के कारण ग्लोबल संस्कृति (Global Culture) का विकास हुआ है। पाप संगीत, हॉलीवुड फिल्म, जीन्स, टी शर्ट आज की युवा पीढ़ी की संस्कृति है जो विश्व के प्रत्येक देश में पाई जाती है। आज विश्व में उपभोक्तावादी संस्कृति का विकास हुआ है। आज भ्रष्टाचार तथा अपराधों की प्रवृति उन्हें रोकने के तरीके समान हैं। आज आतंकवाद का स्वरूप भी अंतर्राष्ट्रीय हो गया है।

5.      आज बहुराष्ट्रीय निगमों की भूमिका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार प्रदायक की हो गई है। पहले ये केवल उत्पादित वस्तुओं, सेवाओं, तकनीक आदि की ही आवाजाही के साधन थे, आज विश्व में व्यापार विशेषज्ञों, प्रबन्धकों, कुशल-अकुशल श्रमिकों की नियुक्ति इन्हीें के द्वारा की जाती है। ये श्रम प्रवाह का सबल साधन है।

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