Godan by Munshi Premchand Summary in Hindi

Godan by Munshi Premchand Summary in Hindi

Awadh प्रांत में पांच मील के फासले पर दो गाँव हैं: सेमरी और बेलारी। होरी बेलारी में रहता है और राय साहब अमर पाल सिंह सेमरी में रहते हैं। खन्ना, मालती और डाॅ.मेहता लखनऊ में रहते हैं।
गोदान का आरंभ ग्रामीण परिवेश से होता है। धनिया के मना करने पर भी होरी रायसाहब से मिलने बेलारी से सेमरी जाता है। उसे लगता है कि रायसाहब से मिलते रहने से कुछ सामाजिक मर्यादा बढ़ जाती है। वह कहता है, ’’यह इसी मिलते-जुलते रहने का परसाद है कि अब तब जान जान बची हुई है।’’

वह समझता है कि इनके पाँवों तले अपनी गर्दन दबी हुई है। इसलिए उन पाँवों के सहलाने में ही कुशल है।

रास्ते में उसे पङोस के गाँव का ग्वाला भोला मिलता है। उसकी गायों को देखकर होरी के मन में एक गाय रखने की लालसा उत्पन्न होती है। वह विधुर भोला के मन में फिर से सगाई करा देने का लालच देता है। भोला उसे अस्सी रुपये की गाय उधार पर ले जाने का आग्रह करता है और अपने पास भूसे की कमी बात करता है। होरी अभाव में पङे आदमी से गाय ले लेने को उचित मानकर फिर ले लूंगा। कहकर गाय लेने से मना कर देता है, पर भूसा देने का वायदा कर सेमरी में पहुँचता है।

रायसाहब अपनी असुविधाओं को बता कर चाहते हैं कि टैक्स की वसूली में होरी उनकी सहायता करे। होरी उनकी बातों जाता है। इस समय एक आदमी आकर राय साहब को बताता है कि मजदूर बेगार करने से मना कर रहे है। यह सुनकर राय साहब आग बबूला हो जाते हैं और उन्हें हंटर से ठीक करने की कह उठकर चले जाते हैं।

घर पर पहुँचर होरी, राय साहब भी तारीफ करता है बेटा गोबर उन्हेंरंगा सियारकहकर उनसे अपनी नफरत जाहिर करता है। होरी बताता है कि उसने भोला को भूसा देने का वचन दिया है। यह सुनकर गोबर और धनिया उस पर बिगङते है। होरी जब बताता है कि भेाला धनिया की प्रशंसा कर रहा था, तब धनिया कुछ नरम पङ जाती है। भोला भूसा लेने आता है। धनिया तीन खोंचे भूसा भरवाकर पति और बेटे को उसके घर तक भूसा पहुँचाने को कहती है।

भोला के घर पर उसकी विधवा बेटी झुनिया है। उससे गोबर की मुलाकात होती है। दोनों परस्पर के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। भोला होरी से दूसरे दिन गाय ले लेने को कहता है।

Next Day गोबर भोला के घर से गाय लाता है। झुनिया उसे छोङने बेलारी के निकट तक आती है। फिर मिलने का वायदा करके लौट जाती है।

गाय के आते ही होरी के घर में आनन्द की लहर उमङती है। गाय का Magnificant स्वागत किया जाता है। गाय के लिए आँगन में नाँद गाङी जाती है। गाँववाले आकर गाय के लक्षण भी और होरी की खुशकिस्मती की तारीफ करते है। केवल अलग्योझा हो गए उसके दो भाई हीरा और शोभा नहीं आते। हीरा होरी की निंदा कर रहा था। होरी धनिया को यह बताता है। धनिया यह सुनकर उससे झगङती है।

सेमरी में राय साहब के घर पर उत्सव है। उसमें धनुषयज्ञ नाटक में होरी जनक के माली का अभिनय करता है। Festival के लिए होरी को पांच रुपये नजराना देना है। राय साबह के मेहमानों में गाँव और शहर के लोग हैं। शहर के मेहमान हैंबिजली पत्र के संपादक पं. ओंकारनाथ, वकील तथा दलाल मि. तंखा, दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर डाॅ. मेहता, मिल मालिक मि. खन्ना, उनकी धर्मपत्नी कामिनी (गोविन्दी), डाॅक्टर मिस मालती और मिर्जा खुशींद।

वहाँ बातचीत में रायसाहब जमींदारी प्रथा के शोषण की निंदा करते हैं

डाॅ. मेहता और रायसाहब की कथनी और करनी के अंतर में प्रति व्यंग्य करते हैं। भोजन के समय मालती मांस-मदिरा का स्थान छोङकर ओंकारनाथ को भुलावे में डालकर शराब पिलवा देती है और वायदे के मुताबिक एक हजार रुपये इनाम लेती है। उसी समय पठान के वेश में डाॅ. मेहता आकर रुपये मांगते हैं और धमकी देते हैं कि रुपए मिले तो वे गोली चला देंगे। अंत में होरी वहाँ प्रवेश करके पठान को गिराकर उसकी मूँछें उखाङ लेता है। पठान के वेश में आए मेहता की नाटकबाजी वहीं खत्म हो जाती है।

उसी समय सब शिकार खेलने जाने का कार्यक्रम बनाते हैं। तीन टोलियाँ बनती हैं। First टोली में मेहता और मालती जाते हैं। मालती मेहता के प्रति आकर्षित है, पर मेहता को इस ओर कोई आकर्षण नहीं है। मेहता को शिकार की चिङिया पानी से लाकर एक जंगली लङकी देती है और दोनों को अपने घर तक ले जाकर मधुर व्यवहार से खुश कर देती है।

इससे मालती ईर्ष्या करती है तो वह मेहता की नजर में गिर जाती है। Second टोली के रायसाहब और खन्ना के बीच मिल के शेयर के बारे में बातचीत होती है। रायसाहब शेयर खरीदने की बात टाल देते हैं।Third टोली में तंखा और मिर्जा हैं। मिर्जा एक हिरन का शिकार करते हैं। हिरन को एक ग्रामीण युवक को देते हैं। सब मिलकर उस युवक के गाँव में जाते हैं। खा-पीकर खुशी से सारा दिन वहाँ बताकर शाम को लौट आते हैं।

होरी के घर पर गाय जाने से सब खुश थे। इतने में रायसाहब को कारिंदा कहता है कि नोखेराम बाकी लगान चुकाने वाले खेत में हल नहीं जोत सकेंगे। होरी पैसे का इंतजाम करने के लिए साहूकार झींगुरीसिंह के पास पहुँचता है। झींगुरी सिंह की आँख गाय पर थी। उसने गाय ले लेने का चक्कर चलाया और कर्ज लेकर लाचार होकर गाय बेचकर लगान चुकाने के लिए वह राजी हो जाता है और धनिया को भी राजी कर लेता है। रात को घर के भीतर उमस होने के कारण वह गाय को बाहर लाकर बांधता है और बीमार शोभा को देखकर लौटते समय गाय के पास हीरा को देखकर ठिठक जाता है।

उसी रात को विष दिए जाने से गाय मर जाती है तो होरी धनिया को हीरा पर शक होेने की बात बता देता है तो धनिया हीरा को गालियाँ देती है और सारे गाँव में कोहरराम मचा देती है। होरी भाई को बचाने के लिए सच को छिपाकर गोबर की झूठी कसम खा लेता है। जाँच पङताल करने दारोगा गाँव में आता है। गाँव के मुखिया लोग इस विपत्ति का फायदा उठाने के लिए हीरा पर जुर्माना लगाते हैं।

Family की इज्जत बचाने होरी झिंगुरी सिंह से कर्ज लेकर रिश्वत के पैसे लाता है, पर धनिया के कारण वह दारोगा को मिल नहीं पाता। दारोगा मुखिया लोगों के घर की तलाशी लेने की धमकी देकर उनसे भी रिश्वत के पैसे वसूल करके चला जाता है। गोहत्या करके पाप के डर से हीरा घर से भाग जाता है। होरी हीरा की पत्नी पुनिया को खेत संभालता है। बीच में एक महीने तक बीमार भी पङ जाता है।


One Night होरी कङकती सर्दी में खेत की रखवाली कर रहा था कि धनिया वहाँ पहुँच जाती है और बताती है कि पांच महीने का गर्भ लेकर झुनिया घर में गई है। होरी पहले उसे निकाल देने की बात तो करता है, बाद में धनिया के समझाने पर उसे अपने घर में रहने का आश्वासन देता है।

अब फिर से पंचायत को होरी का गला दबाने का मौका मिल जाता है। झुनिया के एक Baby Boy होता है। बिरादरी में ऐसे पाप के लिए गाँव की पंचायत होरी पर 100/- नकद और तीस मन अनाज का डाँड लगाती है। धनिया पंचायत पर बहुत फुफकारती है। पर होरी झिंगुरी सिंह के पास मकान रेहन पर रखकर 80 रुपये लाता है और डाँड चुकाता है।

गोबर-झुनिया को चुपके से अपने घर में छोङकर लोकलज्जा के भय से लखनऊ शहर भाग जाता है। वह मिर्जा खुर्शीद के यहाँ महीन के पंद्रह रुपये वेतन पर नौकरी करता है। उनकी दी हुई कोठरी में रहता है।

डाँड में सारा अनाज दे देने के बाद होरी के पास कुछ नहीं बचता। At this time पुनिया उसकी सहायता करती है। वर्षा के अभाव से उसकी ईख सूख जाती है। भोला गाय के रुपये लेना चाहता है। होरी रुपये दे नहीं पाता। भोला होरी के बैल खोलकर ले जाता है। गाँववाले इसका विरोध करते हैं, पर धर्म के भय से मर्यादावादी और ईमानदार होरी विवश होकर इसकी अनुमति दे देता है।

मालती राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में Busy रहने वाली महिला है। उसके प्रयत्न से मेहता वीमेन्स लीग में भाषण देने के दौरान महिलाओं को समान अधिकार की मांग छोङकर त्याग, दया, क्षमा अपनाने सुझाव देते हैं, जो गृहस्थ जीवन के लिए निहायत जरूरी है।

मालती मेहता से सहमत होती है। वह मेहता को अपने घर पर खाने बुलाती है। उसी समय मेहता आरोप लगाते हैं कि उसी के कारण मि. खन्ना, मिसेज खन्ना से अच्छा बर्ताव नहीं करते। यह सुनकर मालती बिगाङ जाती है और अपने घर चली जाती है।

रायसाहब को पता चल जाता है कि होरी से वसूल किए गए डाँड के सारे पैसे गाँव के मुखिया लोग खा गए। वे नोखेराम से रुपये देने को कहते हैं तो चारों महाजनबिजलीके संपादक ओंकारनाथ को सूचना दे देते हैं कि वे अपनी पत्रिका में ऐसी सनसनीखेज खबर छापने जा रहे हैं। रायसाहब सौ ग्राहकों का चंदा रिश्वत के रूप में भरकर किसी तरह इसे छापने से रोक लेते हैं।

जब गाँव में बुवाई शुरू हो जाती है तब होरी के पास बैल नहीं है। होरी की लाचारी का फायदा उठाकर दातादीन होरी से साझे में बुवाई करने का प्रस्ताव देकर होरी को मजदूर के स्तर तक ले जाता है।

उधर दातादीन का बेटा मातादीन झुनिया को प्रेम-पाश में फँसाने के लिए प्रयास करता है। But बीच में सोना पहुँच जाने से मामला गङबङ होने से बच जाता है।

होरी ईख बेचने जाता है तो मिल मालिक से मिलकर महाजन सारा रुपया कर्ज के लिए वसूल कर लेते हैं।
मि. खन्ना और उसकी पत्नी गोविंदी के स्वभाव में आकाशपाताल का अंतर है। गोविंदी सादा जीवन पसन्द करती है तो मि. खन्ना विलासमय जीवन। एक बार पति-पत्नी में बेटे के इलाज के लिए भिन्न-भिन्न डाॅक्टरों को बुलाने के मतांतर मेहता से होती है। मेहता उसकी प्रशंसा कर के उसे समझाबुझा कर घर लौटा लाते हैं। होरी दातादीन की मजूरी करने लगता है।

होरी दातादीन की मजदूरी करने लगता है। ऊख काटते समय कङी मेहनत करने के कारण वह बेहोश हो जाता है। उधर गोबर अब नौकरी छोङकर खोंचा लगाने के काम में लग जाता है। उसके पास दो पैसे हो जाते हैं। One day दिन गाँव में पहुँचता है। वह सभी के लिए सामान लाता है। गाँव में गोबर महाजनों की बङी बेइज्जती करता है।

At the time of Holi पर गाँव के मुखिया लोगों की नकल करके अभिनय किया जाता है। फलस्वरूप गोबर सभी महाजनों के क्रोध का शिकार बन जाता है। जंगी को शहर में नौकरी कराने का लोभ दिखाकर उसे प्रभावित कर देते हैं। वह भोला को मना कर नोखेराम को लगान वसूल करके रसीद देने पर उसे अदालत की धमकी देता है। झुनिया को फुसलाकर शहर जाते समय माँ से झगङा हो जाता है।

माँ के पांव में सिर झुकाकर बिलकुल उद्दंड और स्वार्थी बनकर बालबच्चों को लेकर शहर चला जाता है।

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राय साहब की कई समस्याएँ थीं। उनको कन्या का विवाह करना था, अदालत में एक मुकदमा करना था और सिर पर चुनाव भी थे। कुंवर दिग्विजय सिंह के साथ शादी तय हुई थी। राजा साहब के साथ चुनाव लङना था। पैसों की कमी थी इसीलिए वे तंखा के पास उधार मांगने के लिए जाते हैं। वे मना करते हैं तो वे खन्ना के पास जाते हैं।

खन्ना पहले आनाकानी करके बाद में कमीशन लेकर पैसों का इंतजाम कर सकने की बात बताते हैं। बातचीत के दौरान मेहता महिलाओं की व्यायामशाला की नींव रखने के लिए मना करते हैं।

रायसाहब 5 Thoushand लिख देते हैं। फिर मालती पहुँचती है तो खन्ना से एक हजार का चैक लिखवा लेती है।
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मातादीन की रखैल सिलिया अनाज के ढेर से कोई सेर भर अनाज दुलारी सहुआइन को दे देती है तो मातादीन उसे धिक्कारता है। निकल जाने को कहता है। सिलिया दुःखी होती है। सिलिया के बाप हरखू के कहने पर उसके साथी मातादीन के मुँह पर हड्डी डालकर उसे जातिभ्रष्ट कर देते हैं। धनिया सिलिया को अपने घर पर रख लेती है। सिलिया मजदूरी करके गुजरबसर करती है।

भोला एक जवान विधवा नोहरी से विवाह करता है। नोहरी के साथ बहुओं से नहीं पटती। पुत्री कामना भोला को घर से भगा देती है। नोखेराम नोहरी की लालसा से भोला को नौकर रख लेता है। नोहरी गाँव की रानी की जाती का है। लाला पटेश्वरी साहूकार मंगरू शाह को मंगरू शाह को भङकाकर होरी की सारी नोहरी गाँव की रानी की जाती का है।

लाला पटेश्वरी साहूकार मंगरू शाह को भङकाकर होरी की सारी ईख नीलाम कर देता है। इससे उगाही की उम्मीद होने से दुलारी होरी को शादी के लिए दो सौ रुपये नहीं देती है। इतने में सहानुभूति दिखाकर नोहरी होरी को दो सौ रुपये देकर अपनी दयाशीलता का परिचय देती है।

शहर में परिवार लाकर गोबर देखता है कि जहाँ वह खोंचा लगाता था, वहीं दूसरा बैठने लगा है। उसको कारोबार में घाटा हुआ तो वह मिल में नौकरी कर लेता है। झुनिया को गोबर की कामुकता पसंद नहीं आती। गोबर को बेटा मर जाता है। झुनिया गर्भवती है। गोबर नशा करने लगा है। झुनिया को पीटता है, गालियाँ देता है।

चुहिया की सहायता से झुनिया एक बेटे को जन्म देती है। मिल में झगङा हो जाने से गोबर घायल हो जाता है। मिल गोबर की सेवा करने के दौरान पति पत्नी में फिर संबंध स्वाभाविक हो जाता है।

मातादीन नोहरी के प्रति फिर से आकर्षित होता है। वह सिलिया के लिए छोटी को दो रुपये देता है। रुपये पाकर सिलिया खुश होती है। यह समाचार देने सोना के ससुराल पहुँचती है। मथुरा नोहरी से प्रेम-निवेदन करता है। दोनों पास-पास जाते हैं तो सोना की आवाज से पीछे हट जाते हैं। सोना सिलिया को बहुत फटकारती है।

मिल में आग लग गई थी। मिल में नए मजदूर ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे। इसलिए पुराने मजदूर ले लिए जाते हैं। खन्ना-गोविंदी का मनमुटाव मिट जाता है। मेहता से प्रेरित होकर मालती सेवा-व्रत में लगी रहती है। एक दिन मेहता और मालती होरी के गाँव में पहुँचकर लोगों से मिलते हैं। सहायता करते हैं। राय साहब की लङकी की शादी हो जाती है।

मुकदमे और चुनाव में भी जीत होती है। वे लोग होम मेंबर भी बन जाते हैं। राजा साहब रायसाहब के पुत्र रुद्रप्रताप मालती की बहन सरोज से विवाह करके इंग्लैण्ड चला जाता है। फिर रायसाहब की बेटी और दामाद में विवाह विच्छेद हो जाता है। मालती देखती है कि दूसरों की सेवा करने के कारण ऊँची वेतन के बावजूद उन पर कर्ज है। कुर्की भी आई है।

तब मालती मेहता को अपने घर पर ले आती है। उनकी सहायता करती है। मालती गोबर को माली रख लेती है। उसके बेटे की चिकित्सा और सेवा भी करती हैं। मालती मेहता से विवाह करना अस्वीकार करके मित्र बनकर रहने को पसंद करती है।

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मातादीन सिलिया के बालक को प्यार करता है। वह निमोनिया में कर जाता है। मातादीन सिलिया के प्रति आकर्षित होता है। सारा जाति-बंधन तोङकर उसके साथ रहता है।

होरी की आर्थिक दशा दिनोंदिन गिरती जाती है। तीन साल तक लगान चुकाने से नोखेराम बेदखली का दावा करता है। मातादीन होरी को सुझाव देता है कि अधेङ रामसेवक मेहता से रूपा की शादी करके बदले में कुछ रुपए ले लें और खेती करे। होरी यह सुनकर बङा दुःखी होता है। पर अंत में होरी और धनिया राजी हो जाते हैं। गोबर को शादी में आने की खबर दी जाती है।

गोबर झुनिया को लेकर गाँव में पहुँचता है। रूपा की शादी होती है। मालती भी शादी में शरीक होती है। गोबर गाँव में झुनिया को छोङकर लखनऊ चला जाता है।
रूपा ससुराल में समृद्धि देखकर पिता की गाय की लालसा की बात सोचकर दुःखी होती है। मैक जाते समय वह एक गाय ले जाने की बात सोचती है। होरी पोते मंगल के लिए गाय लेना चाहता था।

That’s Why वह कंकङ खोदने की मजदूरी करता है। रात को बैठकर धनिया के साथ सुतली कातता है। एक दिन हीरा आकर पहुँचता है और होरी से माफी मांगता है। होरी खुश हो जाता है। होरी कंकङ खोदते समय दोपहर की छुट्टी के समय लेट जाता है। उसको कै (उल्टी) होती है। उसे लू लग जाती है।
Dhaniya
भाग कर आती है। सब इकट्ठे हो जाते हैं। शोभा और हीरा को घर पर ले गए।

होरी की जबान बंद हो गई। धनिया घरेलू treatment करती है। सब बेकार जाता है। हीरा गो-दान करने को कहता है। दूसरे लोग भी यही कहते हैं। धनिया सुतली बेचकर रखे बीस आने पैसे पति के ठंडे हाथ में रखकर ब्राह्मण दातादीन से बोलती हैमहाराज घर में गाय है बछिया, पैसा। यही इनका गोदान है।

 

Special :  गोदानकेवल वर्तमान का एक निष्पक्ष चित्र है। उसमें आगत भविष्य की सम्भावनाओं झाँकी नहीं कराई गयी है। इसमें तो एक चरित्र को लेकर उसे अनेक परिस्थितियों में डालकर तथा बहुत से पात्रों और चरित्रों को संसर्ग में लाकर समाज का एक जीवित चित्र निर्माण किया गया है। इसमें भीगबनकी भाँति कथावस्तु और चरित्र में भेद नहीं रह गया है।

होरीके चरित्र की थोङी सी विशेषता दिखलाकर और उसे एक विशेष वातावरण में रखकर लेखक तटस्थ होकर स्वयं द्रष्टा बन जाता है। होरी अपने जातिगत स्वभाव से ही नवीन परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है और फिर विवश होकर उनके अनुसार ही ढल जाता है।

Godan By Munshi Premchand Summary In Hindi इस परिस्थितियों की तरंगों में डूबता-उतरता नियति के हाथों का खिलौना वह कृषक जीवन-यात्रा के अंतिम छोर तक चला जाता है, परन्तु नगर वाले कथानक में यह बात इतनी स्पष्ट नहीं है। वहाँ पर परिस्थितियों की प्रतिक्रिया व्यक्ति पर इतनी सरलता से नहीं होती। रायसाहब, मिर्जा खुर्शेद तथा मेहता आदि प्रायः सभी में वैयक्तिकता है, परन्तु यह वैयक्तिकता इतनी सबल भी नहीं है कि वह परिस्थितियों को तोङ-मरोङ सके।

वास्तव मेंगोदानमें साहूकारों द्वारा किसान के शोषण की ही कहानी है। ये साहूकार कई प्रकार के है, जिनमें झिंगुरीसिंह, पंडित दातादीन, लाला पटेश्वरी, दुलारी सहुआइन आदि। साहूकार के अतिरिक्त जमींदार और सरकार के अत्याचार का भी गोदान में साधारण दिग्दर्शन कराया गया है, किन्तु साहूकार, जमींदार और सरकार सबसे बढकर किसानों के सिर पर बिरादरी का भूत होता है।

Godan By Munshi Premchand Summary In Hindi बिरादरी से अलग जीवन की वह कोई कल्पना ही नहीं कर सकता है। शादी-ब्याह, मुंडन-छेदन, जन्म-मरण सब कुछ बिरादरी के हाथ में है। आप बङे से बङे पाप कर्म करते जाए, किन्तु बिरादरी तब तक सिर उठाएगी जब आप उसके द्वारा निर्धारित कृत्रिम मर्यादा का पालन करते जा रहे है। जो इन कृत्रिम सामाजिक बन्धनों के निर्वाह में चुका है उसके लिए वह ग्रामीण समाज कठोर से कठोर दण्ड-व्यवस्था अपनाता है।

Godan By Munshi Premchand Summary In Hindi हमारे किसानों ने धर्म का एक बङा ही विकृत रूप अपनाया है, किन्तु धीरे-धीरे गाँवों में भी उष्ण रक्त इन कृत्रिमताओं का विरोध करने लगा है।गोदानमें गोबर, मातादीन, सिलिया, झुनिया आदि इसके उदाहरण हैं।

प्रेमचन्द का स्पष्ट कथन है किमेरे उपन्यास का उद्देश्य है धन के आधार पर दुश्मनी प्रेमचन्द ने अपनी सहानुभूति का बहुत बङा भाग शोषित वर्ग को समर्पित किया है। उन्होंने जमीदारों, पूँजीपतियों, महाजनों, धार्मिक पाखण्डियों के दोषों पर तीखे प्रहार किए हैं। Godan By Munshi Premchand Summary In Hindi

उन्होंने उपन्यास में प्रतिपादित किया है कि किसान को सबसे अधिक महाजनी सभ्यता से गुजरना पङता है। महाजनी सभ्यता क्रूरता तथा शोषण पर आधारित है।

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